Kalam Kalam
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Harish Kumar
3 months ago

बात जो मन को छू गई

🙏बात जो मन को छू गई 🙏 🙏नमस्कार दोस्तो 🙏 कभी कभी जीवन में कुछ ऐसी घटनाएं घट जाती है कि वह हमारे मन को छू जाती है । इसी प्रकार की घटना आज मैं आपको सुनाने जा रहा हूं । हुआ यूं कि बहुत दिनों पुरानी बात है मेरे शहर में एक टेलर (दर्जी) है । मुस्लिम समुदाय से हैं कारीगरी अच्छी है बचपन से ही हम सब भाइयों के कपड़े आज भी वही सिलते है । आयु में भी काफी बड़े होने के नाते हम सब उनको दिलशाद भाई के नाम से पुकारा करते । अक्सर जब कभी कोई काम होता तभी उनकी दुकान पर जाना होता । अन्यथा रहते तो हमारी कालोनी में ही थे तो कभी कभार आते जाते दुआ सलाम हो जाती । एक दिन की बात है मुझे किसी नजदीकी रिश्तेदार के बेटे की शादी में जाना था तो सोचा बहुत दिन हो गए क्यों ना एक नया कोट पैंट सूट सिला ही लिया जाए । ओर कपड़ा भी घर पर ही पड़ा था । अब अगले दिन दोपहर को मैं वह कोट पैंट का कपड़ा लेकर दिलशाद भाई की दुकान पर पहुंच गया । तो देखता हूं कि दिलशाद भाई की दुकान के ठीक सामने एक और टेलर की दुकान खुल गई है । ओर वह दर्जी भी अपने काम में व्यस्त कपड़े सिल रहा है । तो ऐसे में मैंने दिलशाद भाई को मजाकिया अंदाज में कहते हुए कहा "दिलशाद भाई ये आपका कम्पिटीटर (प्रतिद्वंद्वी) भी आ गया" । इस पर दिलशाद भाई ने जो उत्तर दिया वह मेरे दिल को आज भी छू लिया है । इस पर दिलशाद भाई बोले "कैसा कम्पिटीटर हरीश भाई ?🤔 मैं भी अवक सा रह गया । उसने फिर से बोलना शुरू किया । "हरीश भाई, अगर मैं यह सोचूं की इस शहर का सारा काम मेरे पास ही आ जाए तो निश्चित है कि मैं कर भी तो नहीं पाऊंगा । हर एक के काम के साथ दुसरे का होना भी जरूरी है । अगर किसी ग्राहक के लिए मेरे पास निश्चित समय नहीं है तो उस ग्रहक का काम वह सामने वाला भाई कर देगा । इसलिए ना तो ग्रहक ना ही मुझे ओर ना उस सामने वाले भाई को परेशानी होगा । ऐसे में ग्रहक का समय की बचत के साथ साथ हम दोनों ओर हमारे कारीगरों के परिवारों की रोजी रोटी भी चलती रहेगी । अब आप ही बताइए हरीश भाई इसमें कम्पिटीशन कहां से आ गया । इस सब बात चीत के दौरान वह मेरे नाप भी ले चुके थे । तो मैंने भी उन्हें दाद देते हुए कहा कि बात तो आपकी एकदम सही है दिलशाद भाई बिल्कुल विचारणीय है । वापिस आते हुए मैं मन ही मन सोच रहा था कि औरों से कितने अलग हैं ये दिलशाद भाई । दो व्यापारी, या दो एक ही काम को करने वाले अक्सर प्रतिद्वंद्वी होते हैं ओर मैने देखा भी है । लेकिन ये दिलशाद भाई अपने काम के प्रतिद्वंद्वी को लेकर एक अलग ही विचारधारा लेकर बैठे हैं । बहुत खूब 👏👏 दिलशाद भाई 👍👍 असल में ❤️जिंदादिली ❤️इसी का नाम है । की खूब मेहनत करो ओर मिल बांट कर खाओ । # मलंग # 🙏🙏🙏🙏

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