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अंधेरे में छुपा राज़

रात का अंधेरा गहराता जा रहा था। छोटे से गांव, राजपुर, में चांदनी की हल्की-सी चमक भी कहीं गायब हो गई थी। गांव के बाहरी इलाके में स्थित एक पुरानी हवेली, जिसे लोग 'भूतिया हवेली' के नाम से जानते थे, आजकल की गतिविधियों से दूर और रहस्यमयी अंधेरे में छुपी हुई थी । एक दिन, गांव में एक बाहरी युवक, वीरेंद्र, आया। उसने हवेली के बारे में सुना था और वह रहस्यों का पता लगाने के लिए बेहद उत्सुक था। गांववालों ने उसे चेतावनी दी, लेकिन वीरेंद्र का साहस और जिज्ञासा उसे हवेली की ओर खींच लाए। हवेली के दरवाजे पर पहुंचते ही वीरेंद्र ने महसूस किया कि हवा में कुछ अजीब सी ठंडक है। उसने अपना टार्च जलाया और अंधेरे में हवेली के अंदर प्रवेश किया। पुरानी दीवारों पर जाले लटक रहे थे और फर्श पर धूल की मोटी परत थी। वीरेंद्र ने धीरे-धीरे हवेली का अन्वेषण शुरू किया। वह हवेली के एक बड़े से कक्ष में पहुंचा, जहाँ एक पुराना किताबों का संग्रह देखा। किताबें इतनी पुरानी थीं कि उनके पन्ने फटे पढ़े थे। वीरेंद्र ने ध्यान से किताबों को देखा और एक किताब में छुपी हुई एक रहस्यमयी नोट मिली। नोट पर लिखा था: “जब चांद की चाँदनी टुकड़ी में बदल जाए, और हवेली की दीवारों से अंधेरा बोलने लगे, तो गुप्त कक्ष का दरवाजा खुलेगा ।” वीरेंद्र ने नोट को पढ़कर समझा कि कुछ गहरे रहस्यों को उजागर करने के लिए उसे चांद की रौशनी का इंतजार करना होगा। रात गहराते-गहराते चांदनी और भी फीकी होती गई, और हवेली की दीवारों पर छायाएं भी अजीब से लगने लगीं। चांद के टुकड़ों की रौशनी जैसे ही हवेली के भीतर की ओर आई, वीरेंद्र ने देखा कि हवेली की दीवारें अचानक से हिलने लगीं। एक दीवार धीरे-धीरे खुलने लगी और एक गुप्त कक्ष का रास्ता खुल गया। वीरेंद्र ने सावधानीपूर्वक कक्ष में प्रवेश किया और अंदर एक पुराना संदूक देखा। संदूक पर जंग और धूल की परतें थीं, लेकिन उसकी चमक अभी भी बरकरार थी। वीरेंद्र ने संदूक को खोला और अंदर एक कागज़ के लिफाफे को पाया। लिफाफा खोलते ही उसमें से एक पत्र बाहर आया, जिस पर लिखा था: “प्रिय विरासत, तुम्हारा साहस और प्रयास सराहनीय है। तुम्हारे पास अब एक बड़ी जिम्मेदारी है। यह हवेली हमारी विरासत है, और इसका सही उत्तराधिकार तुम्हारे पास है। इससे पहले कि यह अंधकार में खो जाए, तुम्हें इसे सहेजना होगा। यह हवेली केवल तुम्हारी समझ और समर्पण की प्रतीक्षा कर रही है। इसका उपयोग एक नई शुरुआत के लिए करो।” वीरेंद्र ने समझा कि हवेली एक ऐतिहासिक धरोहर है, जिसे अब उसकी जिम्मेदारी बन गई थी। उसने हवेली को ठीक करने और उसे एक नई दिशा देने का निर्णय लिया। गांववालों ने वीरेंद्र की इस पहल की सराहना की और हवेली अब एक पर्यटक स्थल और ऐतिहासिक स्थल बन गई, जो न केवल अतीत के रहस्यों को उजागर करती थी, बल्कि एक नई शुरुआत की भी प्रतीक बन गई थी। इस प्रकार, अंधेरे में छुपे राज़ ने एक नई शुरुआत की ओर मार्ग प्रशस्त किया, और वीरेंद्र की साहसिकता ने राजपुर के गांव को एक नई दिशा दी।

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